Thursday, 19 March 2015

जलन

ग़ज़ब कहानी ही यारों की,
होते नहीं पर कोसते हैं,
कुछ करते नहीं पर टोकते हैं |
इनका होना कितना अजीब है,
जलन, ईर्ष्या, घमंड, जूनून,
सब इन्हीं की देन है |
इनका न होना कितना अजीब है,
तकलीफ में कहने सुनने वाला कोई नहीं मिलता,
ख़ुशी में महसूस कराने वाला कोई नहीं मिलता |
मैं सोचता हूँ इंसान क्यूँ बना?
जानवरों में तो नहीं याद,
मुझे, इतने बड़े समाज?
जानवर ही क्यूँ नहीं रह गए?
कम से कम संगत में,
संगत का,
इतना जटिल,
इतना कठोर,
दबाव तो न रहता?
ख़ुशी की चादर न मिलती,
कम से कम जूनून सिर्फ धड़कन बचाने का रह जाता,
ठण्ड में किसी बीमारी से मारे जाते,
कम से कम घमंड से मर मर के जीने का दुःख तो न रह जाता?
~
SaलिL

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