Friday 8 January 2016

गुब्बारे

गोल गोल रौशनी से भरे गोल गोल गुब्बारे 
बैठ कर देख पूरा पेट गुदगुदाए गुब्बारे
नीले पीले काले लाल अलग अलग रंग के गुब्बारे
उड़ती नींद के आलस से हवा में तैरते गुब्बारे

धागा पकड़ के पूरा शेहेर दौड़ जाऊं
करोड़ो गुब्बारों पे बैठ कर आसमा में तैर जाऊं
बादलों के बीच लटका रह जाऊं
पेट पे चिपका के सागर के सागर तैर जाऊं

सूरज की हर एक रौशनी की लकीर पे बंधा
अलग अलग रंग का गुब्बारा
सुबह की रौशनी का रंग ही बदल दे
गोल तिकोना चौकोर अलग अलग रंग का गुब्बारा

क्या दिन थे
जब चारों तरफ थे
अलग अलग रंग के गुब्बारे
गोल तिकोने चौकोर अलग अलग रंग के गुब्बारे

उन गुब्बारों को फोड़ फोड़ के
हंसी छोड़ते थे हम सब
जब मुस्कान का मतलब ही मुस्कान था
जब पल भर की उदासी ले उड़ते थे गुब्बारे

क्या दिन थे
जब चारों तरफ थे
अलग अलग रंग के गुब्बारे
गोल तिकोने चौकोर अलग अलग रंग के गुब्बारे ||||