Thursday, 18 October 2012

बारिश

रोज़ बरसता है यहाँ पे
आसमां सफेद हो जाता है 
माहौल नीला हो जाता है
मौसम खुश्क हो जाता है
नीचे सड़क पे 
नम हो जाती है ज़मीन 
सब शांत सा रहता है 
लोग घरों में चले जाते हैं 
सब खिड़की से बाहर देखते हैं 
टप टप टप टप टप टप
बरसता रहता है 
एक बार जब भी 
रुक भर गयी बरसात
फिर वही दौड़ शुरू
बेकार की बातें 
और फ़िज़ूल की बर्बादी 
काश बरसता रहता रोज़ कुछ देर के लिए 
कुछ देर घर बैठ जाते लोग
कुछ देर खिड़की से बाहर देखते लोग
कुछ देर ठण्ड महसूस करते
पर ऐसा होता थोड़ी है
बरसात भी मौसम है
आज बारिश है
तो कल या तो सर्दी होगी 
या गर्मी
या तो पेड़ों से पत्ते झड जाएंगे
नहीं तो रंग बिरंगी बसंत आएगी
पर अभी नीचे सड़क नम है
सब घर पे ही हैं
खिड़की पे खुश्की मासूम खुशियाँ मना रही है
टप टप टप टप टप टप
बाहर बारिश हो रही है ||



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