कहानी
कितनी कहानिओ के कागजों
का कारवां कहाँ कहाँ
क्या क्या कहता गया
कितनी करीबी तमन्नाएं
क्यों किसी कागज़ की
नदी के बीच में
कहीं खो गयीं
कहाँ खड़े हम
क्या सोचते रहे
जब दूरियों की तलाश में
नज़दीकियाँ मांगते रहे
जब नज़दीकियों की तलाश में
दूरियों का चादर लपेटते रहे
कहानिओं की भी अजीब सी सच्चाई है
कहानियाँ सच्चाई बनने में लगी हैं
सच्चियां कहानी बनने में
हम बस यही सोचते रह गए
कभी हमारी भी कहानी सच्चाई होगी
और हमारी सच्चाई कहानी बन गयी||
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