Wednesday 28 March 2012

Kahaani


कहानी

कितनी कहानिओ के कागजों 
का कारवां कहाँ कहाँ
क्या क्या कहता गया
कितनी करीबी तमन्नाएं
क्यों किसी कागज़ की
नदी के बीच में
कहीं खो गयीं
कहाँ खड़े हम
क्या सोचते रहे
जब दूरियों की तलाश में
नज़दीकियाँ मांगते रहे
जब नज़दीकियों की तलाश में
दूरियों का चादर लपेटते रहे
कहानिओं की भी अजीब सी सच्चाई है
कहानियाँ सच्चाई बनने में लगी हैं
सच्चियां कहानी बनने में
हम बस यही सोचते रह गए
कभी हमारी भी कहानी सच्चाई होगी
और हमारी सच्चाई कहानी बन गयी||

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