Tuesday 4 February 2014

बेकार की बातें

बातें कुछ ख़ास है नहीं,
करने को,
शब्द हैं, 
बहुत,
पर होश नहीं,
जहां साँसे हैं,
वो राह दिखा दो,
लोहे से जोर निकाल कर,
सीने में भर लूँगा,
आसमान की दूरी होगी,
पैदल चल दूंगा,
जहां साँसे हैं,
राह दिखा दो,
साँसे हैं ही नहीं,
सब ढोंग है ढोंग,
साँसें ढूंढते ढूंढते,
साँसे दब जाएंगी,
कोसते रह जाएँगे,
पर चार साँसे नहीं मिलेंगी,
दुसरे की साँसे जितनी हैं,
बची खुची,
वो भी सोक ले जाएँगे,
शब्द हैं,
पर होश नहीं,
जान है,
पर मुराद नहीं,
अरे गिन लो साँसें,
चंद पल बाकी हैं,
सुधार लो ज़िन्दगी,
मत सुनो किसी की,
बस करो,
और माफ़ करो,
थोड़ी सी समझ बची है,
उतनी अक़ल सीने दो,
चंद साँसे और हैं,
थोड़ी रहम और करो,
मुझे जीने दो ||

~

SaलिL

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