कविता
एक छंद में रोक था
दुसरे में हंसी
तीसरे में तकलीफ
चौथे में मुस्कान
पांचवे में उदासी
छंठे में समझदारी
सातवे में नासमझी
बस यूँ ही एक से दुसरे में
बहते गए हम
कही खोते गए हम
उन छंदों में
इन्ही छंदों से बनी
कविता की पंक्तियों में
सांस लेते है हम
और उतने ही सौम्य
एहसास से बनी है
हमारे हयात की कविता ||
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