Wednesday, 16 May 2012

Kavita

 कविता

एक छंद में रोक था
दुसरे में हंसी
तीसरे में तकलीफ
चौथे में मुस्कान
पांचवे में उदासी
छंठे में समझदारी
सातवे में नासमझी
बस यूँ ही एक से दुसरे में
बहते गए हम
कही खोते गए हम
उन छंदों में
इन्ही छंदों से बनी
कविता की पंक्तियों में
सांस लेते है हम
और उतने ही सौम्य
एहसास से बनी है
हमारे हयात की कविता ||

No comments:

Post a Comment